save cows from slaughter: अधिकतर गाय जब दूध देना छोड़ देती हैं तो उन्हें सड़कों पर छोड़ दिया जाता है। वहां से वे कसाइयों के हाथ लग जाती हैं और इनमें से कई तो सड़क दुर्घटनाओं का शिकार हो जाती हैं और कुछ वहीं दम तोड़ देती हैं। ऐसे हजारों मासूम गाय (गौवंश संरक्षण अभियान) आवारा घूमती हैं और फेंके हुए खचरे से खाना खाती हैं या फिर भूख से तड़पते हुए खाने की तलाश में दूसरों के खेतों में घुस जाती हैं। जहां से उन्हें बुरी तरह से मार पीट कर भगा दिया जाता है। हम क्यों ये भूल जाते हैं कि जानवारों को खेत और सरहदों के बारे में नहीं पता है वे तो बस भूख के कारण मजबूर होकर खेतों में चली जाती हैं। जिसके लिए उन्हें असहनीय मार खानी पड़ती है।
जिस गौमाता में 33 करोड़ देवी देवताओं का वास है और जो गौमाता आपको जीवन भर दूध पिलाती है। क्या उस जीवनदायनी परमपूज्य गौमाता (Govansh Sanrakshan Up) के साथ ऐसा व्यवहार उचित है।
राष्ट्रीय गौ सेवक संघ (Rastriy Gau Seva Sangh) में अभी तक ऐसी ही आवारा घूमती 35 गायों का संरक्षण किया गया है। हिन्द राइज गौशाला में बेसहारा घूमती गौमाता की सेवा सुचारु रूप से की जा रही है। यहां इनकी सेवा के लिए पशु चिकित्सक एवं गौसेवक 24 घंटे तत्पर रहते हैं।
गायों के भोजन के लिए भूसा, खली, हरा चारा, चोकर एवं गुड़ की व्यवस्था रहती है। गायों के लिए गौशाला में गर्मी के समय में पंखो से लेकर उचित व्यवस्थाएं की गई हैं।
राष्ट्रीय गौ सेवक संघ का संकल्प है कि वह कभी भी इन गौमाता से उत्पन्न होने वाले दूध या घी का व्यापार नहीं करेंगे और सिर्फ एक ही लक्ष्य रखेंगे वो है गौसेवा और संरक्षण।
आप सभी से अनुरोध है कि आप आगे आये और इस गौवंश सेवा व संरक्षण (save cows from slaughter) के संकल्प को पूरा करने में अपना योगदान दें। इसके अलावा अपने आसपास घूम रही गौवंशो को भोजन कराए और पुण्य के भागीदार बने।
सनातन धर्म में गौ माता का बहुत बड़ा महत्व है। घर में कोई भी पूजा या शुद्धिकरण हो हर तरह की पूजा में गौ माता से जुड़ी सामग्री जरूर राखी जाती है। जैसे कि पूजा से पहले घर को गाय के गोबर से लीपना अनिवार्य होता है और पूजा या हवन में गाय के दूध से निर्मित घी का उपयोग किया जाता है। घर को गोबर से लीपने पर उस घर में माता लक्ष्मी का वास होता है। इसके अलावा इसके कुछ वैज्ञानिक पहलू भी है घर को गोबर से लीपने पर हानिकारक बैक्टीरिया भी मर जाते हैं। हालांकि आज के दौर में लोग इन बातों पर विश्वास नहीं करते लेकिन आज भी कई लोग इन तथ्यों को मानते हैं। धर्म ग्रंथों में बताया गया है कि गौ माता की सेवा करने से संपूर्ण देवी देवता प्रसन्न होते हैं।
गौ माता के धार्मिक लाभ
गौ माता के भक्तों के लिए कुछ भी असंभव नहीं होता है। मनुष्य जिस जिस वस्तु की इच्छा करता है वह सब उसे प्राप्त होती हैं। स्त्रियों में भी जो गौओं की भक्त हैं वे मनोवांछित कामनाएं प्राप्त कर लेती हैं! पुत्रार्थी मनुष्य पुत्र पाता है और कन्यार्थी कन्या! धन चाहने वाले को धन और धर्म चाहने वाले को धर्म प्राप्त होता है! विद्यार्थी विद्या पाता है और सुखार्थी सुख! गौ भक्त के लिए यहां कुछ भी दुलर्भ नही है!
Govansh Sanrakshan Up: भारत में गाय की प्रजातियां
एक आधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार आज सौ गायों में 20 से 25 ही देसी नस्ल की गाय (Govansh Sanrakshan Up) बची हुई है। किसानों के बीच शंकर, फ्रिजियन एवं जर्सी गाय ज्यादा मांग है। वर्ष 2007 में हुए एक पशु गणना में सिर्फ गोगरी क्षेत्र में लगभग 7 हजार गाय थी जिसमें लगभग 2500 गाय ही देसी नस्ल की थी। लेकिन वर्तमान में एक आंकड़े के अनुसार गोगरी में अब केवल करीब 20 हजार गाय का पालन हो रहा जिसमें तीन से 4 हजार के करीब ही देसी नस्ल की बची हुई है।
Govansh Sanrakshan Up: देसी गायों का संरक्षण है बड़ा सवाल
पशुपालकों का मानना है की देसी गाय की मुकाबले विदेशी नस्ल की गाय व्यवसाय के लिए बहुत अच्छी होती है क्योंकि देसी गाय बहुत कम दूध देती है। उनका कहना है की अब तो क्रास-ब्रीड वाली गाय ही ज़्यादा पाली जा रही है। ”विदेशी नस्ल या क्रास ब्रीड की गाय ज़्यादा दूध देती है जिससे मुनाफ़ा भी ज़्यादा होता है। जबकि देसी गाय (save cows from slaughter) उनके मुकाबले कम दूध देती है और दूसरी वजह यह है की देशी गाय के रख-रखाव में भी काफ़ी ज्यादा जतन करना पड़ता है।
प्राचीन चिकित्सा पद्धति के अलावा मोडर्न साइंस से भी यह प्रमाणित होता हैं कि गाय के मूत्र से कई तरह की बीमारियों का इलाज किया जा सकता है। कई ऐसे लोग हैं जो फिट रहने के लिए गौ मूत्र का सेवन करते हैं। इसके अलावा गाय के गोबर को खेती में खाद्य की तरह इस्तेमाल किया जाता है। जो खेती को और अधिक उपजाऊ बनाता है। गौमाता (गौमाता राष्ट्रमाता) के गोबर मे लगभग 60 प्रतिशत तक ऑक्सिजन होता है। इसीलिए पुराने समय में लोग अपने घरों को गाय के गोबर से लिपा करते थे। क्योंकि उस समय भी लोग यह बात जानते थे कि गाय के गोबर से घर लिपने पर घर का वातावरण शुद्ध होता है और नकारात्मक चीज़े घर से दूर रहती हैं। गौ माता के शरीर से निकलने वाली हर एक चीज का महत्व है।
गाय के थनों के अंदर 18 प्रकार के खनिज पाए जाते हैं। गाय के शरीर में मौजूद ये 18 प्रकार के खनिज के शरीर के अलग अलग स्थानों से आते है और इन सभी खनिजों को मिलाकर गाय का दूध बनता है। इन सभी खनिजों से निर्मित गाय का दूध मानव शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसीलिए पुराने समय के लोग गाय के दूध का सेवन कर अधिक बुद्धिमान और बलवान हुआ करते थे और कड़कती धुप में भी दिन भर खेती का काम किया करते थे।
Govansh Sanrakshan Up: महामारी के कारण दूध की खपत पर असर
जब आप अपने पसंदीदा दूध के उत्पाद चुनते हैं तो क्या आपने कभी सोचा है वह आपकी और आपके परिवार की सेहत के लिए कितना फायदेमंद है? क्या वह पौष्टिक और सुरक्षित है? अहम बात यह है कि भारत में जागरूकता की कमी के चलते सुरक्षित भोजन मिलना सबसे बड़ी चुनौती है। गौरतलब है कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है। साल 2018-19 में भारत में 188 मिलियन टन दूध का उत्पादन किया था, जबकि 2019-20 में 198 टन दूध का उत्पादन हुआ। हालांकि, कोरोना काल का असर डेयरी सेक्टर पर भी पड़ा, जिसके चलते वित्तीय वर्ष 2020-21 में उत्पादन में काफी गिरावट दर्ज की गई। बता दें कि 2020-21 के लिए यह आंकड़ा 208 मिलियन टन तय किया गया था। गौरतलब है कि देश में जितनी तेजी से डेयरी उत्पादों की खपत में इजाफा हुआ, उतनी ही तेजी से दूध की गुणवत्ता को लेकर चिंता बढ़ रही है।
गौहत्या को रोकने के उपाय
भारत में देशी गाय का संरक्षण (गौवंश संरक्षण अभियान) एक चिंता का विषय बन गया है। देशी गाय की महत्ता को समझते हुए हमें जगह जगह सामूहिक गौशाला शुरू करनी चाहिए। इस गौशाला के माध्यम से रास्तों पर आवारा घूम रही गौमाता की देखरेख होनी चाहिए। गौशाला में सहयोग करने हेतु सक्षम वर्ग के लोगों को गौशाला में दान करना चाहिए जिससे गौशाला में पाली जा रही गायों का संरक्षण (save cows from slaughter)अच्छे से किया जा सके और उन्हें भी गौपालन का सौभाग्य प्राप्त हो। इसके अलावा हमारी नई पीढ़ी जो आधुनिकता की चमक में अपने प्राचीन सभ्यता और संस्कारो को भूलती जा रही है उन्हें हमारें हिन्दू धर्म के प्रति जागरूक करने के लिए जागरूकता अभियान और कार्यक्रम आयोजित करने चाहिए।