हम एक ऐसे देश में रहते हैं जहां चंद्रमा को चंदा मामा और नदियों और गायों को माता कहकर संबोधित किया जाता है। भारत के लगभग सभी हिस्सों में लोग गायों को अपने परिवार का अभिन्न अंग मानते हैं। हम अपनी गायों का नाम भी रखते हैं। हमारी गायों की चौबीस घंटे उनकी सभी जरूरतों की देखभाल करने और देश भर के गौसेवकों को जोड़ने के लिए, हम राष्ट्रीय गौ सेवक संघ के सदस्यों के साथ एक समग्र मिशन पर हैं। हमारा उद्देश्य अपनी गायों की देखभाल करने का है जैसे हम अपने परिवार के सदस्यों की देखभाल करते हैं। गायों को ख़ुशनुमा माहौल प्रदान करने के लिए हम निरंतर कार्य कर रहे हैं।
राष्ट्रीय गौ सेवक संघ के माध्यम से हम सभी गौसेवकों और गौरक्षकों को एक मंच पर जोड़ने और गौमाता के जीवन को बेहतर बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं।
भारत में गाय सिर्फ एक जानवर या पालतू पशु नहीं है बल्कि एक जीवन पोषक है, इस रिश्ते को करीब से समझना जरुरी है। गाय हमारी कई तरह से मदद करती है, चाहे वह दूध देना हो, गोबर देना हो या गौमूत्र देना हो। गाय का दूध प्रोटीन, कैल्शियम और अन्य पोषक तत्वों की हमारी जरूरतों को पूरा करने वाला एक पौष्टिक उत्पाद है। गाय के गोबर का उपयोग खाद, अगरबत्ती, मूर्ति, गमले एवं अन्य उत्पाद बनाने के लिए किया जाता है। गौमूत्र का उपयोग कई सौंदर्य उत्पादों में किया जाता है।
राष्ट्रीय गौ सेवक संघ का लक्ष्य गाय की देखभाल एवं रक्षा से जुड़े सभी पहलुओं में स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित करना और गायों को स्वस्थ और स्वच्छ रखना है। समय की यह मांग है कि हम अपने गौरव - अपनी गायों की देखभाल के लिए अपनी जिम्मेदारियों को समझें। इससे स्वच्छ वातावरण में हमारी गायों का सही विकास होगा। संपूर्ण विचार यह है कि भारत के सभी कोनों में प्रशिक्षित स्वयंसेवक हों ताकि हमारी गायें लापरवाही का शिकार न बनें।
परित्यक्त एवं निराश्रित गायें मानवजाति के लिए कलंक हैं। जब गायें बूढ़ी या बीमार हो जाती हैं तो उन्हें देखभाल के लिए छोड़ देने से ज्यादा स्वार्थी कुछ नहीं हो सकता। प्रशिक्षण के दौरान हम गौसेवकों को इस काबिल बनायेंगे कि वो गायें की जरूरतें समझ पायेंगे और उनके जीवन को बेहतर बनाने में योगदान दे पायेंगे। हमारी गायें पैर सड़न रोगों और अन्य जीवाणु और फंगल रोगों से भी पीड़ित हैं, जो अस्वच्छ परिस्थितियों के कारण या गायों की देखभाल करने वालों की अज्ञानता के कारण हो सकता है। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि अपने उत्साह, विशेषज्ञता और अनुभव से हम शीर्ष स्तर के पेशेवर गौसेवक तैयार करेंगे जो इस तरह के मुद्दों का ध्यान रखेंगे।
सड़क दुर्घटनाओं के दौरान गायों का घायल होना और बीमार होना कहीं न कहीं लापरवाही की वजह से होता है। सड़कों पर गायों का पॉलिथीन बैग और अन्य अखाद्य वस्तुओं को चबाना आंखों में खटकने वाली बात है, लेकिन यह हमारे आसपास हर समय होता है। राष्ट्रीय गौ सेवक संघ द्वारा प्रशिक्षित गौसेवक ऐसे मुद्दों पर सतर्क और तत्पर रहेंगे। वे जरूरतमंद गायों को गौशालाओं, पशु चिकित्सकों या पशु अस्पतालों में ले जाएंगे। हमारे स्वयंसेवक या गौसेवक इस बात का भी ध्यान रखेंगे कि इन गायों को मजबूत और स्वस्थ रखने के लिए पौष्टिक भोजन दिया जाए।
राष्ट्रीय गौ सेवक संघ हमारी गायों की भलाई एवं गौसेवा के लिए एक सामाजिक कल्याण इकाई है। यह ज्ञान प्रदान करने और उन व्यक्तियों को सशक्त बनाने में विश्वास करता है जो गायों की देखभाल अपनी गाय की तरह करेंगे। ये गौसेवक न केवल पशु कल्याण के लिए काम करेंगे बल्कि अपने कार्यों और पेशेवर रवैये से यह भी साबित करेंगे कि हम अपनी गायों के बारे में इतनी दृढ़ता से क्यों सोचते हैं। गायें न केवल हमारी संपत्ति हैं बल्कि हमारा गौरव भी हैं। गायों की देखभाल करके हम न सिर्फ उनके जीवन को बेहतर बनायेंगे बल्कि संपूर्ण जनमानस के पोषण की मजबूत नींव रखेंगे।
हमारा मिशन एक गौ-संसार बनाना है जिसमें हम गौसेवकों और डेयरी किसानों की एक टीम बनाएंगे ताकि उन्हें आशा और सम्मान से भरे जीवन में गायों की सेवा करने में मदद मिल सके। हम एक ऐसा मंच बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं जिसमें शामिल हैं- गाय संरक्षण और गौशाला निर्माण, डेयरी फार्मिंग, गौसेवा को एक पेशे के रूप में बढ़ावा देना और स्वरोजगार की लहर लाना।
भारत में बहुत लंबे समय से गायों का सम्मान करने की परंपरा रही है। गायें भारतीय समाज का अभिन्न अंग रही हैं। गाँव हो या शहर, झोपड़ियों और घरों के बाहर गायें और बच्चों के साथ खेलते हुए छोटे-छोटे बछड़े दिख जाते हैं। भारतीय गायों को केवल जानवर ही नहीं मानते बल्कि उन्हें अपने परिवार का अभिन्न अंग मानते हैं।
अधिक पढ़ेंदूध हमारे शरीर के लिए बहुत फायदेमंद है। दूध से हमें जो पोषक तत्व प्राप्त होते हैं, उन्हें किसी भी अन्य चीज़ से प्रतिस्थापित नहीं किया जा सकता है। 139 करोड़ की आबादी के लिए दूध और दुग्ध उत्पाद पैदा करने के लिए अधिक संख्या में गायों की जरूरत है। गाय भारतीय संस्कृति की रीढ़ है।
अधिक पढ़ेंहमारा मिशन एक गौ ब्रह्मांड बनाना है जिसमें हम गौसेवकों और डेयरी किसानों की एक टीम बनाएंगे ताकि उन्हें आशा और सम्मान से भरे जीवन में गायों की सेवा करने में मदद मिल सके। हम एक ऐसा मंच बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं जिसमें शामिल हैं- गाय संरक्षण और गौशाला, डेयरी फार्मिंग,
अधिक पढ़ें'गौसेवक' शब्द दो शब्दों 'गौ' और 'सेवक' का एक पवित्र संयोजन है। 'गौ' का अर्थ दिव्य गायों से है, जो सनातन संस्कृति में सबसे सम्मानित, प्रिय और पूजनीय जानवर है। 'सेवक' का अर्थ देखभाल करने वाला या सेवा करने वाले से है। गौसेवक से तात्पर्य ऐसे देखभालकर्ता या सेवक से है जो पूरी तरह से गौमाता की सेवा में लीन रहता है।
अधिक पढ़ें'गौरक्षक' शब्द सनातन संस्कृति की पुस्तकों में दो पवित्र शब्दों, यानी, गौ और 'रक्षक' का संयोजन है। गौ का अर्थ गाय माता है, जबकि रक्षक का अर्थ रक्षा करने वाला है। गौरक्षक वह व्यक्ति होता है जो गाय माता को पशु माफियाओं और बूचड़खानों से बचाने के लिए दृढ़ संकल्प और अत्यंत जुनून के साथ काम करता है।
अधिक पढ़ेंएक गौशाला संचालक गौशाला के दैनिक प्रबंधन के लिए जिम्मेदार होता है। उन्हें गौशाला का कार्यात्मक प्रमुख माना जाता है। यह संचालक गौ माता की भलाई और देखभाल के लिए योजनाएं बनाता है एवं प्रबंधन करता है।
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